Jalandhar, April 11, 2023
यह महज संयोग या नियति का पक्का संकेत था कि भाजपा का 44वां स्थापना दिवस और सनातन धर्म के प्रिय बजरंग बली की जयंती एक ही दिन पड़ी। जो भी हो, पीएम मोदी का भाषण और हनुमान के जीवन से अनगिनत सीखों का समावेश बहुत ही सरल, स्वाभाविक और स्वीकार्य था। हनुमानजी की कार्यप्रणाली और भाजपा की कार्यप्रणाली के बीच समानताएं खोजना और स्थापित करना मुश्किल नहीं था। हनुमान का जीवन कई केस स्टडी का विषय रहा है। प्रबंधन गुरु अपने व्याख्यानों में इसका बहुत उल्लेख करते रहे हैं और करते रहेंगे। इस संदर्भ में सबसे स्पष्ट पंक्तियाँ सुन्दर काण्ड का यह दोहा है - राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहाँ बिश्राम!
श्री हनुमान जी का ध्येय वाक्य है, 'राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहां विश्रम'। हनुमान जी निरन्तर बिना किसी विश्राम के राम जी के कार्य में लगे रहते हैं। रामकाज के लिए ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। उनका अवतार राम-काज के लिए है, उनकी जिज्ञासा राम-काज के लिए है, वास्तव में उनकी सारी चेतना राम-काज के सौंदर्य के लिए है।
पीएम मोदी ने कहा, हनुमान जी का जीवन, उनके जीवन की प्रमुख घटनाएं आज भी हमें भारत की विकास यात्रा की प्रेरणा देती हैं।
हनुमान जी के पास असीमित शक्ति है, लेकिन वे इस शक्ति का उपयोग तभी कर सकते हैं जब उनका आत्म-संदेह समाप्त हो जाए। आजादी से पहले और खासकर 2014 से पहले भारत का यही हाल था। देश का नागरिक अपार संभावनाओं से भरा हुआ था, लेकिन अनेक शंकाओं से घिरा हुआ था।
श्रीरामचरित मानस का एक प्रसंग याद करें। माता सीता के हरण (हिरण) के बाद उनकी तलाश में वानर-भालुओं के कई दल अलग-अलग दिशाओं में भेजे गए। जामवंत, हनुमान और किष्किंधा आदि के युवराज अंगद सहित एक समूह उदास हिंद महासागर के तट पर खड़ा था। समुद्र पार करने जैसी कठिन समस्या का सामना करने पर निराश होना स्वाभाविक है। असीम सागर और उसका अनंत विस्तार-सब निराशा में डूबे हुए थे। जीवन में कभी-कभी हम स्वयं को ऐसी स्थिति में पाते हैं। मंज़िल सामने है पर रास्ता नहीं है।
हनुमानजी को श्राप मिला था कि जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने अपार बल का आभास नहीं होगा। क्या 2014 से पहले हमारा भारत कुछ ऐसा नहीं था? जो ताकतें आतंकवाद को पनाह और संरक्षण देती हैं, वे जब चाहती हैं, हमारे देश की अमन-चैन को लूट लेती हैं और हम सब मूक दर्शक बनकर यह सारा तमाशा देखते हैं। सरकार आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए रटे-रटाए बयान जारी करती थी और इससे अपना कर्तव्य पूरा हुआ। डैमेज-कंट्रोल का कोई और तरीका नहीं था।
तो रामायण के प्रसंग में ज्येष्ठ जामवंत ने हनुमान को उनकी असीम शक्ति का स्मरण कराया। जामवंत ने हनुमान को अपनी शक्ति को जगाने और भीतर छिपी क्षमता को पहचानने के लिए निराशा और अवसाद को दूर करने के लिए प्रेरित किया।
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