jalandhar, January 03, 2022 4:08 pm

पंजाब में चुनाव आते ही राजनीतिक दलों द्वारा घोषणाएं शुरू कर दी गई है, जिनमें से एक घोषणा पंजाब ट्रक यूनियनों को दोबारा से बहाल करना है। हाल ही में शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी द्वारा ये घोषणा की गई है कि उनकी सरकार आने के बाद पंजाब में ट्रक यूनियन दोबारा से बन सकेगी। इसका फेडरेशन आफ पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (फोपसिया) के प्रधान बदीश जिन्दल ने सख्त शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि पंजाब में ट्रक यूनियनाें का खात्मा 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने किया था। पंजाब में 134 ट्रक यूनियनें थी, जिनके कारण पंजाब में बड़े उद्योग स्थापित करने से कतरा रहे थे।
हालात यह थे कि यहां के उद्योगों और व्यापारी पलायन करने को मजबूर थे। पंजाब की इन 134 ट्रक यूनियनों के अधीन 90 हजार ट्रक आते है। ये यूनियनें पंजाब के पूरे ट्रांसपोर्ट को कंट्रोल करते थे और कार्टल बनाकर एक माफिया की तरह काम करती थी। पंजाब की ट्रांसपोर्ट कंपनियां भी यूनियनों के इस रवैये से परेशान थी। मनमाने ढंग से भाड़ा वसूल करती थी और इन यूनियनों के अधिकार क्षेत्र में कोई और ट्रांसपोर्ट न तो माल ला सकता था और न ही माल ले जा सकता था। यहां तक कि कारोबारी अपने निजी ट्रक और अन्य वाहनों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते थे। किसी भी कंपनी की प्राइवेट गाड़ी को यूनियनों के अधिकार क्षेत्र में काम करने की मंजूरी नहीं थी।
कंपनियों ने यूनियनाें काे भंग करने की रखी थी शर्त
पंजाब में जब 2017 में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सरकार को 2013 की इन्वेस्ट पंजाब पालिसी के फेल होने के कारण समझ आने लगे। सभी बड़ी कंपनियों ने पंजाब में निवेश के लिए इन ट्रक यूनियनों को भंग करने की शर्त रखी। यह एक कठिन काम था, लेकिन पंजाब सरकार ने बड़ी हिम्मत के साथ इनकी स्ट्राइक और हाई कोर्ट के आदेशों के परवाह नहीं करते हुए पंजाब सरकार ने पंजाब गुड्स कैरिज 2017 को मंजूरी दी थी। जो ट्रक आप्रेटरों को राज्य में कार्टेल या यूनियन बनाने से रोकता था। सरकार के इस फैसले से कारोबारियों को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन अब अकाली दल और आम आदमी पार्टी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए यूनियन तोड़ने की घोषणा कर रहे है। इससे पंजाब में कारोबार को भारी नुक्सान होगा।
2025. All Rights Reserved