Jalandhar, March 06, 2023
यह परीक्षण एक अपराध में अपराधी की भूमिका निर्धारित करने और उसके शरीर की गतिविधियों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसमें आरोपी के चलने-फिरने के तरीके और उसके शरीर की स्थिति आदि का पता लगाया जाता है। बता दें कि पहले हमले के नाबालिग आरोपी के लिए गेट की व्यवस्था की गई थी। दरअसल, पुलिस कोर्ट में सुनवाई के दौरान पर्याप्त सबूतों के जरिए हमले के मामले में गिरफ्तार आरोपियों की भूमिका साबित करना चाहती है। इसलिए इसका परीक्षण किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक यह टेस्ट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया है।रिजल्ट जल्द आएगा।
जबकि घटना के दिन रंगा की उपस्थिति के संबंध में भी जानकारी जुटाई गई ताकि घटना स्थल पर उसकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। जानकारी के मुताबिक, मोहाली जिले में यह पहला मामला है, जिसमें पुलिस ने घटना स्थल पर अपराधी की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए गेट का सहारा लिया है। पुलिस ने अपराध करने के बाद रंगा के ठिकाने का पता लगाने के लिए मामले में एक प्वाइंट ऑफ मेमोरेंडम पीओएम भी तैयार किया है। पीओएम आपको बता दें कि दीपक रंगा को एनआईए ने गत जनवरी में गिरफ्तार किया था । मई 2022 में, दीपक ने कथित तौर पर एक आरपीजी गिरा दिया। रंगा कनाडा स्थित गैंगस्टर से आतंकवादी बने लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा और पाकिस्तान स्थित गैंगस्टर से आतंकवादी बने हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा का करीबी है। उसे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया था। आरपीजी हमले के बाद से फरार था रंगा एनआईए के मुताबिक, रंगा सक्रिय रूप से रिंडा और लांडा से आतंकवादी धन और रसद सहायता प्राप्त कर रहा था। उनके फोन की लोकेशन भी चेक की जाएगी।
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