jalandhar, January 20, 2021 7:08 pm
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने मंगलवार को कहा कि चीन ने वीगर मुसलमानों का दमन कर जनसंहार किया है.
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार में विदेश मंत्री बनने जा रहे एंटोनी ब्लिंकन ने भी कहा है कि वो इससे सहमत हैं.
मानवाधिकार समूहों का मानना है कि चीन ने पिछले कुछ सालों से लाखों वीगर मुसलमानों को निगरानी कैंपों में रखा है. चीन की सरकार इन निगरानी कैंपों को पुनर्शिक्षण कैंप कहती है.
बीबीसी की पड़ताल के मुताबिक़ वीगर मुसलमानों को बंधुआ मज़दूर बनने पर मजबूर किया गया है. राष्ट्रपति ट्रंप के शासनकाल में चीन से तनाव स्थायी रूप से बना रहा. इन तनावों के केंद्र में व्यापारिक नीतियाँ और कोरोना वायरस की महामारी की अहम भूमिका रही.
माइक पॉम्पियो ने अपने बयान में कहा है, ''मेरा मानना है कि चीन का यह जनसंहार अब भी जारी है. हमलोग देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार सुनियोजित तरीक़े से वीगरों को तबाह कर रही है.'' पॉम्पियो ने ट्रंप प्रशासन के आख़िरी दिन ये बात कही. हालाँकि यह बयान चीन पर दबाव डालने के लिए है और इससे उस पर कोई स्वतः जुर्माना नहीं लगेगा.
मंगलवार को बाइडन सरकार में विदेश मंत्री बनने जा रहे एंटोनी ब्लिंकन से पॉम्पियो के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे भी इस बात को मानते हैं. बाइडन की टीम ने पिछले साल अगस्त में वीगरों के मामले में चीन पर इसी तरह का आरोप लगाया था. बाइडन की टीम ने कहा था कि चीन की निरंकुश सरकार ने विगरों का दमन जिस तरह से किया है उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती.
माइक पॉम्पियो ने एक बयान भारत से जुड़ा भी दिया है. पॉम्पियो ने ट्वीट कर कहा, ''ब्रिक्स याद है? जायर बोल्सोनारो (ब्राज़ील के राष्ट्रपति) और नरेंद्र मोदी को शुक्रिया. बी और आई दोनों को पता है कि सी और आर उनके लोगों के लिए ख़तरा हैं.''
दरअसल, ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका का संगठन है. पॉम्पियो ने बी ब्राज़ील और आई इंडिया के लिए कहा है. सी चाइना और आर मतलब रूस को लेकर कहा है कि दोनों देश बी और आई के लोगों के लिए ख़तरा हैं. हालाँकि पॉम्पियो ने साउथ अफ़्रीका के लिए कुछ नहीं कहा है.
हाल के दिनों में चीन और भारत में भी तनाव चरम पर हैं. दोनों देशों की सेना लद्दाख में अब भी आमने-सामने है और सीमा पर यथास्थिति बहाल नहीं हो पाई है. रूस को लेकर भी कहा जा रहा है कि भारत से रिश्तों में दूरियाँ बढ़ी हैं. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने दिसंबर महीने में कहा था कि पश्चिम के देश भारत को चीन विरोधी मोहरा बना रहे हैं.
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